Sunday, 25 July 2010
पाऊस
नभ उतरु आले ,
जग झिम्माड झाल
खरच आहे, सगळ जगच बदलून जात पाऊस पडायला लागला की. त्याच्या तर्हा तरि किती! झिम झिम अन्गावर तुषार पाडून रोमान्चित करणारा पाऊस, जरा जोराने पडणारा ,हुरहुर लावणारा पाऊस, कोसळणार्या जलधारानी प्रियाची आठवण जागव्णारा पाऊस, आणी प्रिय जवळच असेल तर प्रेमाने चिम्ब करणारा पाऊस! विजेच्या कडकडात कोसळ्णारा, थरार आणणारा पाउस!
पाऊसच पाऊस!
पाऊस आवडत नाही, असे ही महाभाग आहेत. त्याना गालिब सारखे म्हणावेसे वाटते कि ’हाय कम्बख्त! अरे दुर्दैवी माणसा, जरा पावसात भिजून बघ, काय स्वर्गीय आनन्द मिळतो!’
आणी बाहेर पाऊस ,घरात गरम गरम भजी आणी मस्त कोफ़ी या सारखा आनन्द आहे का?
यापेक्शा जास्त मजा फ़क्त आपण घरात आणी बाहेर मस्त बर्फ़ पडत असेल तरच.खिडकीत बसून, हातात वाफ़ाळलेला चहा/कोफ़ी चा कप घेऊन पडणारे बर्फ़ पाहाणे हा अवर्णनीय आनन्द आहे.
जग झिम्माड झाल
खरच आहे, सगळ जगच बदलून जात पाऊस पडायला लागला की. त्याच्या तर्हा तरि किती! झिम झिम अन्गावर तुषार पाडून रोमान्चित करणारा पाऊस, जरा जोराने पडणारा ,हुरहुर लावणारा पाऊस, कोसळणार्या जलधारानी प्रियाची आठवण जागव्णारा पाऊस, आणी प्रिय जवळच असेल तर प्रेमाने चिम्ब करणारा पाऊस! विजेच्या कडकडात कोसळ्णारा, थरार आणणारा पाउस!
पाऊसच पाऊस!
पाऊस आवडत नाही, असे ही महाभाग आहेत. त्याना गालिब सारखे म्हणावेसे वाटते कि ’हाय कम्बख्त! अरे दुर्दैवी माणसा, जरा पावसात भिजून बघ, काय स्वर्गीय आनन्द मिळतो!’
आणी बाहेर पाऊस ,घरात गरम गरम भजी आणी मस्त कोफ़ी या सारखा आनन्द आहे का?
यापेक्शा जास्त मजा फ़क्त आपण घरात आणी बाहेर मस्त बर्फ़ पडत असेल तरच.खिडकीत बसून, हातात वाफ़ाळलेला चहा/कोफ़ी चा कप घेऊन पडणारे बर्फ़ पाहाणे हा अवर्णनीय आनन्द आहे.
Wednesday, 7 July 2010
एक हिन्दी कविता देत आहे. ही कविता मी खूप आधी , बहुतेक मुम्बई ब्लास्ट च्या वेळी केलेली आहे.
हम भारतवासी
याद करो वह वचन जो दिया युधिष्ठीर ने
"हम पाच नही, है एकसौ पाच !"
आक्रमण किया अगर हमारे अपनोन्पर किसीने,
मिटा देन्गे उसे----------
अपनोन्पर न आने देन्गे आच.
क्या समझते है दुनियावाले हमको?
हम नही किसीसे डरनेवाले.
अगर उठायेगा हमपर कोई शस्त्र
मत भूलो हमारे पास भी है ब्रम्हास्त्र.
आपसमे हम भले ही लडते हो
क्या भाई- भाई आपसमे लडेन्गे नही?
जितना ज्याद लडे -झगडेन्गे
प्यार बढेगा उतनाही.
एक दूसरेसे बन्धी सीध प्यार की
पक्की बनेगी उतनीही.
दुनिया यह ना समझे-हम कमज़ोर है
आपसमे भले ही हम लडे
दुनियाके लिये हम एक है-
क्या इतिहास ने बार बार नही जताया है?
याद करो आक्रमण चीन का
या फ़िर आक्रमण जो हुए सरहद्पर ,
हमेशा ही भारत की जनताने आवाज उठाई है
आक्रमणकारी को मुह की खानी पडी है.
आज भी अगर कोइ चाहता है आजमाना
करे आक्रमण -उत्तर देगी हमारी एकता
पीछे नही हटेन्गे हम
यह नही हमार धर्म
सहिष्णुता को हमारी कमजोरी मत समझना
पछताना पडे ऐसा काम न करना
हम है हिम्मतवाले, हम है बलवान
शान्तिप्रिय हम-परन्तु है जाग्रुत आत्मसम्मान.
अगर किसी भाई को हमारे
लगी चोट जरा सी
पूरा भारत गरज उठेगा
इसमे न भूल जरासी.
ललकारो ना हमारी वीरता को
पहचानो निद्रिस्त गजराज को
अगर इसे छेडोगे
तबाही मचायेगा
आसमन्त सर्व ध्वस्त कर देगा.
दुनिया याद रखे सदा
भारतवासी है हम
शान्तिप्रिय सह्जीवन का हमारा नारा
हमे है प्र्यार दुनियासे-
लेकिन भारत सबसे प्यारा.
हम भारतवासी
याद करो वह वचन जो दिया युधिष्ठीर ने
"हम पाच नही, है एकसौ पाच !"
आक्रमण किया अगर हमारे अपनोन्पर किसीने,
मिटा देन्गे उसे----------
अपनोन्पर न आने देन्गे आच.
क्या समझते है दुनियावाले हमको?
हम नही किसीसे डरनेवाले.
अगर उठायेगा हमपर कोई शस्त्र
मत भूलो हमारे पास भी है ब्रम्हास्त्र.
आपसमे हम भले ही लडते हो
क्या भाई- भाई आपसमे लडेन्गे नही?
जितना ज्याद लडे -झगडेन्गे
प्यार बढेगा उतनाही.
एक दूसरेसे बन्धी सीध प्यार की
पक्की बनेगी उतनीही.
दुनिया यह ना समझे-हम कमज़ोर है
आपसमे भले ही हम लडे
दुनियाके लिये हम एक है-
क्या इतिहास ने बार बार नही जताया है?
याद करो आक्रमण चीन का
या फ़िर आक्रमण जो हुए सरहद्पर ,
हमेशा ही भारत की जनताने आवाज उठाई है
आक्रमणकारी को मुह की खानी पडी है.
आज भी अगर कोइ चाहता है आजमाना
करे आक्रमण -उत्तर देगी हमारी एकता
पीछे नही हटेन्गे हम
यह नही हमार धर्म
सहिष्णुता को हमारी कमजोरी मत समझना
पछताना पडे ऐसा काम न करना
हम है हिम्मतवाले, हम है बलवान
शान्तिप्रिय हम-परन्तु है जाग्रुत आत्मसम्मान.
अगर किसी भाई को हमारे
लगी चोट जरा सी
पूरा भारत गरज उठेगा
इसमे न भूल जरासी.
ललकारो ना हमारी वीरता को
पहचानो निद्रिस्त गजराज को
अगर इसे छेडोगे
तबाही मचायेगा
आसमन्त सर्व ध्वस्त कर देगा.
दुनिया याद रखे सदा
भारतवासी है हम
शान्तिप्रिय सह्जीवन का हमारा नारा
हमे है प्र्यार दुनियासे-
लेकिन भारत सबसे प्यारा.
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